किनारे की तलाश में
वह आसमान से गिरा था। समुद्र में तैरते हुए उसे याद ही नहीं आया कि मौत हर वक्त उसके आस पास
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Read Moreवह हर शाम आती है अकेली और उदाससुनने मेरा कोलाहलकहने अपने मन की बात हम घंटों बतियाते हैं, पागलों की तरह
Read Moreबढ़ई समझ नहीं पा रहा है उसकी संरचनाएं क्यों नहीं होती किसी कुम्हार की सुराहियों जैसी लुहार के हँसिए जैसी
Read Moreजैसे दिया जूझता है हवा के झोंके से किसान लड़ता है टिड्डियों के हमले से बच्चा निपटाना चाहता है अपना
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