कविता

चाँदनी फीकी हो गई

मेरी आँखों में जब से तेरी तस्वीर सज गई
चाँद की चाँदनी भी फीकी हो गई
पर्वतों के सर पे बादलों का सेहरा बँधा
शबनम सोलह श्रृंगार कर मेरी दुल्हन बन गई

मेरी आँखों में जब से तेरी तस्वीर सज गई
रात दिन मेरी अब सतरंगी रंगीन हो गई
गुलशन की कलियॉ जब मुस्कुराने लगी
चमन की ये बहार मधुवन बन गई

मेरी आँखों में जब से तेरी तस्वीर सज गई
सारी कायनात मुझे अब खूब सूरत सी लगी
नदियों की अल्हड़पन जब सागर की ओर चली
मेरी कदमो मे खुशियों की नई शहर बस गई

मेरी आँखों में जब से तेरी तस्वीर सज गई
वीराने में सरगम की स्वर गुँजने लगी
मेरे होठों पे बाँसुरी की तान निकल पड़ी
तेरी पॉवों की घूँघरू मगन हो गई

मेरी आँखों में जब से तेरी तस्वीर सज गई
नभ के बादलों में इन्द्रधनुष की छटा सज गई
तेरे जुल्फों के साये में गुजरेंगें हँसीन दिन
तेरी आँचल गुलाब की पँखुडी बन गई

मेरी ऑखों में जब से तेरी तस्वीर सज गई
चाँद की चाँदनी भी फीकी हो गई
पर्वतों के सर पर बादलों का सेहरा बँधा
शबनम सोलह श्रृंगार कर मेरी दुल्हन बन गई

— उदय किशाेर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088