मुक्तक
हालत की सरगर्मियों से अंजान नहीं हूँ ,
साज़िशों का दौर है ये, हैरान नहीं हूँ।
बना लो मनसूबे मेरे खिलाफ हवाओं-
हाशिये पर खड़ी हूँ मैं, परेशान नहीं हूँ ।।
— साधना सिंह
हालत की सरगर्मियों से अंजान नहीं हूँ ,
साज़िशों का दौर है ये, हैरान नहीं हूँ।
बना लो मनसूबे मेरे खिलाफ हवाओं-
हाशिये पर खड़ी हूँ मैं, परेशान नहीं हूँ ।।
— साधना सिंह