कविता

यादें बेजान हुआ नहीं

यादें बेजान हुआ नहीं…।
लेकिन आवाज़ सुना नहीं ।।
सुई रुक चुका था…,
लेकिन वक्त रुका नहीं ।
मुसाफ़िर रुक चुका था…,
लेकिन सफ़र रुका नहीं ।
ज़िंदगी रुक चुका था…,
लेकिन दुनिया रुका नहीं ।
सरकार रुक चुका था…,
लेकिन सत्ता रुका नहीं ।
संबंध रुक चुका था…,
लेकिन प्यार रुका नहीं ।
यादें बेजान हुआ नहीं…।
लेकिन आवाज सुना नहीं ।।
— मनोज शाह मानस 

मनोज शाह 'मानस'

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