कविता

मुस्कान मेरे घर आना

अय मुस्कान मत बन तूँ नादान
नये साल पे तुम्हें आना ही होगा
मेरे घर ऑगन की चौखट   पर
तुम्हें आकर रस बस जाना ही होगा

नया साल है नई दिवस है
नई सूरज की नई किरण आभा
नई चाँद है नई चाँदनी है
नई साल की सुन्दरतम शोभा

गत साल भी तुम साथ थी
इस साल भी निभाना ही होगा
आने वाला हर पल हर क्षण
खुशियों से दामन भरना होगा

देख पड़ोसी मेरी खुशियाँ
वो भी साथ साथ मुस्कुराये
देख हम सब की खुशियॉ
हर शै मुस्कान से भर जाये

दुश्मन को भी तुम देना खुशियाँ
जो मेरे संग रोज करे लड़ाई
बाल गोपाल भी खुर्शियॉ पाये
प्रतिदिन तेरी करे   बड़ाई

तेरी ऑचल तले खुशहाली पाये
ऐसी हमें तुम देना वरदान
जगत के हर प्राणी सुख पाये
पूरा कर देना सबकी अरमान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088