मेरे अल्फाज़
जो अल्फाज़ मैंने कहे
जैसे कहे जिस लहजे में कहे
तुमने उनको समझा ही नहीं
अगर समझा तो अपने लहजे में समझा
इसलिए बात बन न सकी
बल्कि बनी बनाई और बिगड़ गई
काश मेरे लहजे से सोचा होता
तो बात कुछ तुम्हारी समझ में आती
और जो आज स्थित बनी
वह न बनी होती