ये काम कर लूं
मिल जाए वक्त जरा-सा तो मैं ये काम कर लूं
अंजुरी भर आसमां अपने दामन में भर लूं।
मिल जाए अगर चांद का एक भी टुकड़ा
चांदनी से अपने घर को रोशन कर लूं।
मिल जाए अगर मुठ्ठी भर सितारे
अपने आंचल में उसे टांक लूं।
मिल जाए अगर परिंदों की परवाज़ मुझे
अपने सपनों में इन्द्रधनुषी रंग भर लूं।
मिल जाए दरिया का एक भी कतरा
अपनी जिंदगी की सारी तृष्णा मिटा लूं।
मिल जाए अगर सूरज की एक किरण
अपने मन का हर अंधेरा दूर कर लूं।
ऐ खुदा! मिल जाए अगर तेरी नजरे करम
तेरी बंदगी में सारी उम्र गुजर लूं।
— विभा कुमारी “नीरजा”