कविता

प्रयास

पाना है मुकाम तो
प्रयास को दोस्त बनाईये
जग में पाना है ज्ञान तो
ज्ञानी के संग हो जाईये

पाना है ऊँची पायदान लो
आगे ही कदम बढ़ाईये
छूना है आसमान तो
परवाज बन उड़ जाईये

पाना है निजाम तो
शतरंज की बिसात बिछाईये
पाना है सम्मान तो
इन्सान बन कर दिखाईये

पाना है निजात तो
समझौता को अपनाईये
पाना है अन्जाम तो
मिहनत के साथ हो जाईये

पाना है मुस्कान तो
जग को भी हँसाईये
पाना है पहचान तो
कर्मयोगी बन जाईये

करना है निगेहबान तो
सीमा पर तैनात हो जाईये
बनना है विद्वान तो
धर्मग्रन्थ में भाग्य आजमाईये

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088