कविता

देश सेवा

कोई एक टिकट मुझे भी दिलवा दो
आदर्शों से कोई लेना देना नहीं
किसी भी दल से दिलवा दो
जो दल देगा उसका गुणगान करूंगा
निष्कलंक हूं
कोई दाग नहीं
जातिगत बहुमत नहीं
जमीर जिंदा है
अभी मरा नहीं
यह सब अवगुण हैं मुझमें
देश सेवा की मन में इच्छा
सोच रहा लड़ जाऊं किसी दल से
इस देश सेवा के बहाने
पीढ़ियों का बंदोबस्त कर जाऊं
दिलवा दो भाई मुझे भी
किसी पार्टी से टिकट
बसपा हो चाहे हो सपा
कांग्रेस हो फिर हो भाजपा
नहीं गुरेज मुझे किसी से
मुझे तो बस चाहिए एक चुनाव टिकट
चाहे दे दे कोई दल
लोग तरे न तरे
मैं तार दूं अपने कुल को

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020