/ जिंदा हूँ मैं /
मृत्यु नहीं हुई मेरी
शव नहीं हूँ मैं
एक प्यास है,
जिंदगी का अहसास है
वाद है मेरे अंदर
अपने आप में विवाद है
एक खोज है,
वह धरोहर है मेरी।
खाली पड़ा नहीं हूँ मैं
चेतनशील दिमाग मेरा है
भाग्य – भगवान की भट्टी में
भौतिक सुखों का लोभ नहीं,
धर्म – दर्शन की छाया में
उन्माद का जलन नहीं,
परतंत्र की छाया में
वाह – वाह की जुबान नहीं
युग – युगों की पीड़ा का
आह – कराह की आग है
अपनी अस्मिता की चेहरा
स्वतंत्रता के इस युग में
जनता की ज़ुबान पर
झलक देखने की चाह है।