वक़्त ये भी देखना बदल जायेगा
वक़्त ये भी देखना बदल जायेगा।
आज दुख हैं तो कल सुख आएगा।।
रात अमावस्या की टीम घनेरा है।
चाँद पूर्णिमा का भी जगमगायेगा।।
जी हाँ, बिल्कुल सही व सटीक पंक्तियां हैं ये क्योंकि वक्त या समय ही एक ऐसा हैं जो आज हैं वो कल नहीं रहेगा और जो कल होगा वो परसों नही रहेगा। यही तो सबसे बड़ी विशेषता हैं समय की कि वो अच्छा हो या फिर बुरा । कुछ समय बाद बीत ही जाना हैं किन्तु हम मनुष्यों का स्वभाव ही कुछ ऐसा होता हैं कि यदि आपके जीवन में सभी सुख सुविधाये हैं और आप हर प्रकार से संतुष्ट हैं। आपके पास बहुत प्रेम व आपकी फिक्र करने वाले रिश्ते हैं। जो हर समय आपकी चिंता करते हैं और आपका हर समय साथ देते हैं तो आप हंसी-खुशी जी रहे होते हैं ।
आपके पास गाड़ी, बंगला,अच्छा या अच्छी जीवन साथी हैं तो आपको ये संसार बहुत ही सुंदर व स्वर्ग के समान लगेगा और आप हैं कि उन सुख-वैभव के दिनों में कभी कुछ गलत या समय कैसा हैं इस बारे में सोचेंगे भी नहीं और आपको पता भी नहीं चलेगा कि आपका समय कैसे बीत गया। दिन,महीने और साल न जाने कितनी खुशियों के साथ बीत जाते हैं। सुख के दिनों में इंसान को तो ईश्वर का भी स्मरण नही रहता । कहा भी गया है कि-
“दुख में सुमिरन सब करें ,दुख में करें न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे,तो दुख काहे को होय।।
जी हाँ बिल्कुल ऐसा ही होता हैं अक्सर सुख के दिनों का हमें अहसास तक नहीं होता कि किधर से आये और किधर गये।
परिवर्तन प्रकृति का नियम हैं और ये बात हम सब जानते भी हैं। बस! जैसे ही हमारे जीवन मे दुःखों का आगमन होता हैं तब हम अत्यंत दुखी रहने लगते हैं और जब भी हम कहीं आते-जाते हैं या कोई हमसे मिलने आये या बात करें तो हम बस एक ही रोना रोते दिखाई देते हैं कि “क्या करें ईश्वर ना जाने जीवन में इतनी मुसीबतें ,इतने कष्ट कहाँ से आ गये है। हे राम हमारे तो समय ही खराब चल रहा है”
अब ध्यान देने वाली बात ये हैं कि समय खराब कैसे हो गया ? क्या अब आपके लिये हर रोज सुबह सूरज ने अपना प्रकाश ,अपनी धूप देनी बन कर दी है? क्या सर्दी,गर्मी, बरसात या बसंत का आगमन होना बंद हो गया है ? या फिर रात्रि के समय आपकी छत के ऊपर से चाँद-तारों ने चमकना छोड़ दिया ? या फिर हवा ,पानी,अग्नि सब आपसे रूठ गये? या फिर आपके घर की दीवार पर पहले से टंगी दीवार घड़ी ने सही समय बताना बन्द कर दिया ? इन सब प्रश्नों का एक ही उत्तर आपके पास होगा और वो हैं “नहीं “.. तो फिर समय खराब कैसे हो गया ?
हां ये बात भी सच है कि हम दुख और कष्ट के समय कुछ अधिक ही दुखी व तनावग्रस्त रहने लगते हैं। तब हमारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ हमारे दुखों में इतना लीन रहने लगता है कि हम अपने सुख के दिनों को याद कर सिर्फ रो तो सकते हैं किंतु ये नहीं सोच पाते कि “अरे यदि हमारे सुख के दिन नहीं रहे तो फिर भला ये दुख और कष्टों के दिन भी नहीं रहेंगे और क्यों न हम किस्मत और ईश्वर को दोष देने और हर समय,समय खराब नहीं का रोना रोने से अच्छा हैं स्वयं को अपने मन पसन्द कामों में व्यस्त रखें “।
यदि हम समय को दोष न देकर अपनी समस्याओं का समाधान तलाश करें और मन को ईश्वर भक्ति या अन्य अच्छे कार्यो में व्यस्त रखने लगे। आपका कोई शौंक हैं या फिर आपमें कोई प्रतिभा हैं ऐसी जिसके बल पर आप अपने दुखों से बाहर निकल सकेंगे और आपको आर्थिक मदद भी आपसे स्वयं से ही मिल जाएगी। किन्तु हम हैं कि बस हमारा तो समय ही खराब चल रहा है, हर समय,समय का रोना रोकर ही जीवन को व्यर्थ गंवाने लगते हैं।
परेशानी के दिनों में हमे अपने ऐसे मित्रों और परिचितों या रिश्तेदारों से संपर्क करना चाहिए जो आपको कुछ अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित करें। आपको कोई नई दिशा दिखायें । अच्छी प्रेरक पुस्तकें पढ़ें क्योंकि पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी व सच्ची मित्र व मार्गदर्शक जो होती हैं। फिर देखिए कि आपका खराब लगने वाला समय कैसे अच्छे समय मे परिवर्तित होता हैं।
तो मेरे कहने का तात्पर्य यही हैं कि समय कभी खराब नही होता है । ये तो समय का चक्र हैं जो कभी दुख तो कभी सुख में ढलता-निकलता रहता हैं। समय की सबसे अच्छी जो बात हैं वो यही है कि समय कभी रुकता नहीं हैं । वो यो गतिमान होता हैं और बढ़ता रहता हैं निरंतर। समय भी हमारे लिये एक प्रेरणा ही तो हैं जिससे कि हमे भी समय की तरह ही हर पल,हर परिस्थिति में आगे बढ़ते रहना चाहिए।
वरना तो हम समय खराब व दुखों का रोना रोते हुए ही ठहर जायेगे कि अब हमारे जीवन मे कुछ नहीं होने वाला। बस जिस प्रकार ठहरे हुए पानी पर काई जम जाती हैं और पानी में दुर्गंध पैदा कर देता हैं। ठीक उसी प्रकार यदि हम भी थक कर निराश होकर बैठ जायेगे तो हमारा हंसता-खेलता जीवन भी ठहर जांएगा और उस पर तनाव रूपी काई जम जाएगी। तब हम अनेक बीमारियों का शिकार होकर बस यही सोचते रहेंगे कि कब हमारा समय सही होगा। समय तो हमेशा सही रहता हैं बस हम ही थोड़ी सी परेशानी आने पर विचलित व दुखी रहने लगते हैं।
पिछले एक डेढ़ साल से पूरा विश्व कोरोना रूपी महामारी से जूझ रहा है और कितनों ने अपने अपनों को खोया है । जीवन मरण तो सब ईश्वर के आधीन हैं किंतु हम बस अपनी सुरक्षा व स्वच्छता पर ध्यान देकर इस बुरे कहे जाने वाले समय को भी मात दे सकते हैं।
— सविता वर्मा ‘ग़ज़ल