अब डिजिटल शिष्टाचार सीखने की जरूरत है
बीती दो सदियों से आज का नागरिक ‘डिजिटल नागरिक’ बन गया है। ‘कोरोना संक्रमण’ के चलते जब दुनिया के हर हिस्से में व्यक्ति की कई महत्वपूर्ण गतिविधियां जैसे, शिक्षा, व्यवसाय, उद्योग, अस्पताल आदि पर पूरी तरह से बाधित हो चुकी थी। तब भारत सहित पूरे विश्व को गतिशील बनाए रखने के लिए ‘डिजिटाइजेशन अथवा इंटरनेट’ किसी वरदान से कम नहीं रहा। जिसने सभी आवश्यक क्षेत्रों को गति प्रदान कर विश्व को पुनः चलने योग्य बनाया। ‘डिजिटाइजेशन अथवा इंटरनेट’ का वर्तमान में एक विशेष महत्वपूर्ण लक्ष्य था- ‘मानव जाति की सुरक्षा’, जिससे किसी को भी अपने कार्यस्थल पर न जाना पड़े, सभी घर पर ही रहते हुए अपने कार्य को संभव करें और ऐसा हुआ भी।
किंतु ‘वरदान’ के साथ-साथ ‘अभिशाप’ भी कहीं न कहीं साथ में आता है, यही बात ‘डिजिटाइजेशन’ पर भी लागू है। इसलिए व्यक्ति को विशेषकर युवावर्ग और विद्यार्थी वर्ग को ‘डिजिटल शिष्टाचार’ के बारे में जनना अत्यावश्यक हो गया है। अज्ञानता और अशिष्टता के चलते व्यक्ति इस बेहतरीन सुविधा का दुरुपयोग कर रहा है। इंटरनेट और डिजिटाइजेशन ने हमारी बहुत सी समस्याओं को हल किया है जैसे, घर बैठे शिक्षा प्राप्त करना, अस्पताल, घर से ही व्यवसाय संबंधी चर्चा और व्यवसाय भी करना, बाजार संबंधित सामग्री ऑनलाइन मंगवाना, यहां तक कि कानून संबंधी सुनवाई जैसी समस्याएं भी ऑनलाइन संभव हो सकें। किंतु इन सबके चलते कहीं न कहीं डिजिटल अशिष्टाचार भी सामने आई, जो कि समय के साथ बढ़ती जा रही है। जिसमें ऑनलाइन होने वाले किसी भी प्रकार की बैठक अथवा चर्चा में असभ्यता दिखना, फेसबुक इंस्टाग्राम पर असभ्य पोस्ट डालना और किसी के पोस्ट पर असभ्य टिप्पणी भी करना, व्यक्तिगत संबंधी सूचना पोस्ट करना जो दुर्घटना को न्योता देना है।
एंड्राइड फोन का आविष्कार और विकास मनुष्य के समय को बचाने और अधिक से अधिक जानकारी देने के लिए हुआ। लेकिन व्यक्ति ने अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझकर असभ्य और गलत दिशा में इसका उपयोग किया, फोन से जोर-जोर से बात करना, लाउडली और भड़कीली रिंगटोन लगाना, किसी भी व्यक्तिगत जानकारी का स्क्रीनशॉट लेना, फालतू की चैटिंग में समय बर्बाद करना, शिक्षा संबंधी कक्षाएं और मीटिंग होने पर फोन का माइक या वीडियो बंद करने की स्थिति में ध्यान ना देना आदि कई ऐसी गंभीर समस्याएं सामने आई।
इसलिए सभी को ‘डिजिटल शिष्टाचार’ का अर्थ समझते हुए एक ‘डिजिटल शिष्ट नागरिक’ बनना होगा। हमें जो सुविधा प्रदान की गई है, उसका दुरुपयोग न करके सदुपयोग करना चाहिए। क्योंकि कहीं ना कहीं यह सभी चीजें क्राइम और दुर्घटनाओं को बहुत बढ़ावा दे रही हैं। विद्यार्थी वर्ग को समझना होगा कि अगर वह ऑनलाइन शिक्षा को गंभीरता से नहीं लेता तो आने वाले भविष्य में उन्हें अपने प्रोफेशन जीवन में बहुत मुसीबतों का सामना करना होगा। फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप के उपयोग में ‘डिजिटल शिष्टाचार’ को सीखना और समझना सभी वर्ग के लिए बहुत आवश्यक है।
हमारी थोड़ी सी अज्ञानता, लापरवाही, असभ्य व्यवहार, अशिष्टता जैसे, फेसबुक और इंस्टाग्राम के पटल पर गंभीरता से क्रिया या प्रतिक्रिया न करना, फोन बहुत ही लाउडली और असभ्य रिंगटोन लगाना, जोर-जोर से बातें करना, ऑनलाइन बैठक अथवा क्लास के चलते असभ्य व्यवहार और ध्यान ना देना आदि। यह अशिष्टता मनुष्य जीवन को मनुष्य को उपहास का पात्र बनाती हैं। इतना ही नहीं हमें अनजाने में अपराध और फिर पूर्ण अंधकार की ओर ले जाती हैं।
वर्तमान में साइबर क्राइम से संबंधित कई गंभीर समस्याएं और खबरें सुनने में आती हैं। एक सत्य यह भी है कि, मनुष्य जो शिष्टाचार भौतिक रूप से समझता है, वह इंटरनेट पर खोता जा रहा है। व्यक्ति की छवि धूमिल होती जा रही है। यह केवल छोटे स्तर पर नहीं बल्कि, बड़े स्तर पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है।
अतः सभी को ‘डिजिटल शिष्टाचार’ के बारे में जान-समझकर पालन करना होगा। बुजुर्गों तथा माता-पिता को छोटों और बच्चों को डिजिटल शिष्टाचार के नियमों के बारे में बताना होगा। युवा और विद्यार्थी वर्ग को विशेष रूप से समझना होगा। क्योंकि कि वे किसी भी देश का भविष्य होते हैं। कोई भी व्यक्ति अशिष्टता के चलते खुद की छवि खराब होने से बचें। ‘डिजिटल शिष्टाचार’ के उपयोग से सही मायने में ‘डिजिटाइजेशन और इंटरनेट’ सार्थक होगा और आने वाला भविष्य उज्जवल होगा।
लक्ष्मी सैनी