बाँझ
टेस्ट रिपोर्ट आ चुकी थी। वह बाँझ नहीं थी। कमी उसके रोहन में थी। बाहर बैठी सास के ताने, कानों में गर्म सीसे की तरह चुभ रहे थे। जवाब देना चाहती थी, पर याद आया कि कैसे रोहन चट्टान की तरह उसका सबल बन जाता था।
और फिर…. शिव की तरह वह भी हलाहल पी गई।
अंजु गुप्ता ✍🏻
हिसार