बाल कविता

अपनों का साथ – काव्य कहानी

 

पति पत्नी और दोनों बच्चे
सब लक्ष्य के पीछे थे, भाग रहे!
सिमट रहे थे, अपने ही दायरे में
थे अपनों को भी, त्याग रहे!!

समस्याओं पर, झुंझलाते- गुस्साते
थे खुद को अक्सर, अकेला पाते!
अवसाद में डूबे मन को समझा कर
फिर लक्ष्य साधने, थे लग जाते!!

प्रतिस्पर्धा के अंधी दौड़ में
बच्चे चाहते थे, बस अव्वल आना!
पत्नी के लिए यश था बहुत जरूरी,
पति भी चाहता था, बस पैसा कमाना !!

सालों बाद.. जब गांव से दादी आई
रीत देख वह दंग रह गई!
बच्चों संग हसने – बतियाने की
मन में ही उमंग रह गई!!

इक रात को सब हैरान हो गए
जब घर की बिजली गुल हो गई!
उत्साह दादी का था, देखते ही बनता
लगता था वो “टुल्ल” हो गई।

खिलखिलाती आवाज़ में सबको बुलाया
कैंडल लाइट में डिनर करवाया!
हंसते खेलते कैसे वक्त बीत गया
किसी के भी समझ में न आया!!

समझ गए थे, सब घरवाले,
अंधेरा यह दर्शाता है!
अपनों का साथ अगर साथ हो
मज़ा उसमें भी आता है!!

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed