राष्ट्रीयता के विरुद्ध कांग्रेस
संविधान में भारत को राज्यों का संघ राष्ट्र की संकल्पना को मजबूती देने के लिए दिया गया, न कि भारत की व्याख्या को ढीले ढाले ढंग से प्रस्तुत करने के लिए जिस उद्देश्य से राहुल गांधी ने इस शब्द का प्रयोग किया। भारत एक सांस्कृतिक विरासत को लेकर बना है, भारत गुलाम अवश्य हुआ, परन्तु अपनी संस्कृति व मान्यताओं से कभी कोई समझौता नही किया, मुगल काल के अंधकार में भी भारत ने अपनी राष्ट्रीय संस्कृति को अक्षुण रखा।
जब भी किसी व्यक्ति द्वारा कोई वक्तव्य दिया जाता है तो यह उसके वैचारिक स्तर को प्रदर्शित करता है किंतु कांग्रेस के तथाकथित राजकुमार बार बार अनावश्यक विषयों पर अपने अल्पविकसित मस्तिष्क से देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे है। क्या कभी राहुल गांधी को अखंड भारत पर बात करते सुना ? क्या कभी इन्होंने अन्य देशों में पीड़ित भारतीय मूल के लोगों की बात की ?
यह पहला अवसर नही है, राफेल समझौते, पुलवामा हमले, सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक, चीन विवाद पर भी कांग्रेस के स्वर दुश्मन देशों से मिलते हुए दिखाई दिए। अब यह जानना आवश्यक है कि देश की सबसे बड़ी विपक्षी दल किस दिशा में जा रहा है ? क्या कांग्रेस को चिंतन नही करना चाहिए ? अपनी भ्रमित होती विचारधारा और अकुशल नेतृत्व के दम पर आखिर कब तक देश को भ्रमित करेंगे ? अब इस पर विराम लगना चाहिए।