कविता

इस दिल को कैसे समझाऊँ

इस दिल को कैसे समझाऊँ
प्यार तुमसे है दिल कर बैठा
रात दिन तेरी यादों में अपनी
जिन्दगी पर दाव लगा बैठा

जब से हुई है दीदार तुम्हारी
ये नैना तुम्हें ही ढुँढ रही है
तेरी एक झलक पाने को ये
तेरी राहों पे घूम रही    है

पत्ता पत्ता जर्रा जर्रा से
पूछ रही है तेरा ठिकाना
पर जग है प्यार का दुश्मन
तुँ ही बता कब है आना जाना

जब तक तुम्हें देख ना लूँ मैं
मन पागल सा हो जाता है
तेरी रून झुन  पायल की धुन
सुन लेने को  का मन होता है

कभी तो आ जा मेरी गली में
या अपनी गली का पता बता दो
धुनी रमा बैठ जाऊँगा रात दिन
अपनी घर का पता बता दो

कोई कुछ कह ले राहें रोक ले
हमें इसकी परवाह भी नहीं है
जब तलक तुमसे मिल ना लूँ मैं
जीवन में बस चैन नहीं    है

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088