जागरूकता जरूरी
मतदान हमारा अधिकार ही नहीं
हमारा कर्तव्य भी है,
महिला हो या पुरुष
सबको समझने की जरूरत भी है।
महिलाएं आगे बढ़ रही हैं
हर क्षेत्र में झंडे गाड़ रही हैं
राजनीति भी कर रही हैं
मतदान भी कर रही हैं,
पर अधिकांश स्व विवेक का
इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं।
पुरुष महिला को हथियार बना
महिला के नाम पर राजनीति कर रहा है,
महिला का सिर्फ नाम चलता है
पति, पिता, भाई, बेटा ही सारे काम कर रहा है।
मतदान में भी महिलाओं स्वविवेक
कम ही चलता है,
घर के पुरुर्षों के इशारे से उनका मत पड़ता है।
समय जरूर बदल रहा है
मगर कच्छप गति से बढ़ रहा है।
अभी महिलाओं को
और चैतन्य होने की जरूरत है,
अपने मताधिकार और
राजनीतिक अधिकार के लिए
खुद के हौसले जगाने की जरूरत है।
इसके लिए महिला मतदाताओं को
सबसे पहले अपने मताधिकार का
सार्थक उपयोग जरुरी है।
जागरूकता तभी विकसित होगी
जब महिलाएं मत और मतदान में
स्वालंबी बन निखरेंगी,
सिर्फ मोहरा नहीं बनेंगी,
मजबूती के साथ आगे बढ़ेंगी
अपनी पहचान को एक आयाम देंगी,
परिवार ही नहीं समाज राष्ट्र में
मजबूती से अपना योगदान देंगी।