कहानी

वैलेंटाइन डे पर राज का तोहफा !

आज वैलेंटाइन डे पर हज़ारों संख्या में नवयुवक और नवयुवतियां अपने अपने प्रेमी को कोई उपहार देते है या किसी एकांत जगह पर मिल कर प्रेम भरी बाते करते है, एक दुसरे के लिए जीने मरने की कस्मे खाते है। कई प्रेमी जोड़े इस प्रेम के प्रतीक दिन या यु कहिये की एक सप्ताह पहले से ही वैलेंटाइन सप्ताह में अलग अलग दिवस जैसे रोज़, प्रोपोज़, टेडी, प्रॉमिस, हुग, चॉकलेट,, किस और आज वैलेंटाइन दिवस पर भावुक हो कर कामुक हो जाते है और फिर जिस्मानी रिश्तो में बंध जाते है।

ऐसे ही है हमारे कहानी के नायक राज ( बदला हुआ नाम ) है । राज को उसके माता पिता ने शुरू से ही अपने से दूर हॉस्टल में पड़ने के लिए भेज दिया जहाँ वो कुछ दोस्तों के साथ शराब और ड्रग्स लेने लगा। जब वो अपनी पढ़ाई पूरी करके आया तो उसके माँ बाप उसके शराब और और नशे की लत से चिंतित हो उठे और इस चिंता का हल जैसे आम माता पिता करते है, उसकी शादी का फैसला किया। एक सुशील, पड़ी लिखी और मध्य वर्गीय परिवार की कन्या, रीटा ( बदला हुआ नाम ) से राज की शादी कर दी।

शादी के बाद भी राज अक्सर देर रात से अपने मित्र मण्डली के साथ शराब और ड्रग्स के नशे से चूर घर आता। रीटा राज का यह रूप देख कर दंग रह गई पर अपने सांस ससुर और अपने माता पिता को दुःख न पहुंचे कुछ न कहती। जब राज नशे में चूर बेसूद हो कर पलंग पर गिर सा पड़ता वो उसके जूते उतारती और जब कभी उलटी करता तो साफ करती। सब ने समझाया पर राज न संभला।

ऐसा नहीं की राज मन से बुरा था और रीटा को प्यार नहीं करता था। वो सब समझता था की वो जो कर रहा है वो गलत कर रहा है। वो अपने माता पिता का आदर करता है, रीटा से बेहद प्यार करता है पर न जाने शाम होते ही उसका मन अपने आप उस मित्र मंडली के पास जाने के लिए आतुर हो जाता है। चाह कर भी वो इस दलदल से नहीं निकल पाया ।

फिर जब उसे पिछले वर्ष कोरोना का संक्रमण हुआ और तबियत बिगड़ने पर उसे हॉस्पिटल में तीन सप्ताह रहना पड़ा और ज़िन्दगी और मौत के बीच झूलता रहा तो अपनी पत्नी की निस्वार्थ सेवा और माता पिता का स्नेह और साथ पाकर वो स्वस्थ हो गया। अब वो बदल गया है । उसने नशे से मुक्ति भी पा ली है।

आज वैलेंटाइन डे है। वो रीटा की आँखों में अपने लिए अथाह प्यार देखता है।

मन ही मन वो संकल्प करता है की अब उसे और दुःख नहीं दूंगा । वृद्ध होते अपने माता पिता की हमेशा सेवा करू गा और अपने होने वाले बच्चे को एक अच्छे पिता की भाँती प्यार करूँगा और उसका कदम कदम पर मार्ग दर्शन करूँगा।

यही मेरा आज, वैलेंटाइन डे पर उन सबके लिए पर तोहफा होगा।

-डॉक्टर अश्विनी कुमार मल्होत्रा

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।