जीवन में प्यार की जरूरत है सबको
मुझको मुझसे प्यार हुआ है।
तभी तो आईने में कई बार निहारा है।
दिल के आईने में उतारा है अपने को ।
कई बार सपने में पुकारा है देखने को।
मन के आंगन में संवारा है मुझको ।
तभी तो बार-बार पुकारा है तुझको।
जीवन में प्यार की जरूरत है सबको।
ढाई आखर प्यार के बिना अधूरा है जन-मन को।।
धरती को भी आसमान दूर से भाता है।
सूरज- चांद- तारों से कितना गहरा नाता है।
अंधेरे को नाश कर देता है उजाला।
प्यार की रोशनी से खिल जाता है सबका चेहरा।
प्रेम में इंसान अपने को मिटाकर भी जीत जाता है।
नफरत में इंसान जीत कर भी हार जाता है।
प्रेम-मोहब्बत शास्वत है, सदा दिल में बसा के रखना।
दुनिया में फैली नफरत की आग को सदा बुझा के रखना।
— डॉ.कान्ति लाल यादव