प्रेम
प्रेम एक विश्वास है,
प्रेम एक एहसास है,
प्रेम सहज आस्था है,
प्रेम अतृप्त प्यास है.
प्रेम जिंदगी है,
प्रेम बंदगी है,
प्रेम दिल्लगी नहीं है,
प्रेम दिल की लगी है.
प्रेम एक त्योहार है,
प्रेम मंत्रोच्चार है,
प्रेम एक मधुरिम सुहास है,
प्रेम नहीं व्योपार है.
विश्वास जिसमें अगाध हो,
आनंद का अंबार हो,
वहीं होता है प्रेम सच्चा,
जहां प्रेम-ही-प्रेम का श्रंगार हो.