ग़ज़ल
किसी के काम आजा तू, अरे दो दिन जवानी है।
चले है छोड़ कर जाना, रहेगी फिर कहानी है।
अजी मीठा सदा बोलो, यही तो संग जाना है,
किये तेरे भले ही तो, रहेंगे वो निशानी है।
मुहब्बत है बड़ी प्यारी,कभी तुम छोड़ मत देना,
चले जो हाथ को पकड़े, वही यारी पुरानी है।
यही तो सोच दिल में है, सदा हैरान होता हूँ,
जिसे चाहा नहीं दिल से, वही मेरी दिवानी है।
मिली मुड़के नहीं मुझ को,सदा वो याद आती है,
रखूँ दिल से लगा कर के, गई दे कर निशानी है।
वो आए पास हैं मेरे मुहब्बत जान मैं पाया,
गये उठ के बिना बोले यही मेरी नदानी है।
अरे पगले फरिश्ते हैं कभी यह फिर न आएंगे,
करो जी प्यार की बातें नहीं मुड़ हयात आनी है।
— शिव सन्याल