कविता

ठहराव

ठहराव मंजिल नहीं
महज विश्राम है,
जो तन मन को आराम का देने के लिए
आवश्यक माध्यम बनता है,
नये जोश और स्फूर्ति से आगे बढ़ने के लिए
उर्जा संचित करने का केंद्र बनता है।
विचारों को संचित होने/करने
रणनीति बनाने, खुद को हौसला देने
मंजिल के पास और पास होने
सफलता की खुशबू का
थोड़ा थोड़ा अहसास होने
मगर आगे बढ़ने और बढ़ते रहने की
प्रेरणा पाने के साथ साथ
जरूरी हथियार भी है ठहराव।
ठहराव आवश्यक भी है
और उद्देश्यपूर्ण भी,
बस ठहराव के प्रति नजरिया
कैसा है हमारा
ये हम पर निर्भर है,
ठहराव सिर्फ पड़ाव है मंजिल नहीं।
स्व

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921