कविता

हम हमेशा साथ रहेंगे

हम हमेशा साथ रहेंगे
हों चाहे पर्वत की ऊँचाइयाँ
या फिर हों सागर की गहराइयाँ
नदियों में दिखती हों परछाइयाँ
हम सदा संग मिलकर बहेंगे
हम हमेशा साथ रहेंगे…..

हम हमेशा साथ रहेंगे
हों चाहे नज़रों की अठखेलियाँ
या फिर हों मन की मनमानियाँ
रंग लाएँ जब अपनी रंगीनियाँ
हम सदा संग मिलकर रंगेंगे
हम हमेशा साथ रहेंगे……

हम हमेशा साथ रहेंगे
हों चाहे विरह की बेचैनियाँ
या फिर हों मिलने की मदहोशियाँ
मिल जायें एक-दूजे की गलबहियाँ
हम सदा संग मिलकर मिलेंगे
हम हमेशा साथ रहेंगे…….

हम हमेशा साथ रहेंगे
हों चाहे बचपन की नादानियाँ
या फिर हों यौवन की अँगड़ाइयाँ
बुढ़ापे की गुजरें जब मजबूरियां
हम सदा संग मिलकर चलेंगे
हम हमेशा साथ रहेंगे…..

लवी मिश्रा

कोषाधिकारी, लखनऊ,उत्तर प्रदेश गृह जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश