कविता

ईमानदारी

जीवन में चाहे हो जितनी विपरीत घड़ी
नहीं छोड़ना तुम अपनी ईमानदारी,
जीवन को स्वर्ग बना देती है ये ईमानदारी
इस ईमानदारी को बना लोअपनी जिम्मेदारी।
जिसने भी इसे अपना वस्त्र बनाया
उसका जीवन खुशियों से लहराया,
ईश्वर भी उसपे करते हैं उपकार
ईमानदारी ही मानव को देता है ताकत और स्वच्छ विचार।
मुश्किलों के दौर में भी अपनी ईमानदारी पे बने रहना
सच्चाई के रास्ते पे हमेशा चलते रहना,
बेईमानी की बुनियाद होती है कमजोर
अंत में ईमानदारी ही मचाती है जीत का शोर।
ईमानदारी एक अनमोल हीरा है
बेईमानी एक जख्म और पीड़ा है,
बेईमानी की उम्र होती है बहुत कम
ईमानदारी में बहुत दम।
— मृदुल शरण