मौन
क्या हो सकता है
कुछ क्षण हम मौन हों
कुछ न बोले
सिर्फ सुने और देखे
प्रकृति को
चांद तारों को
चांदनी को
हवाओं की सरसराहट को
सूरज की किरणों की गुनगुनाहट को
नदियों की कल कल
भौरों की गुंजन
फूलों का खिलना
बारिश की टपटप
मुझे विश्वास है
यह सब सुनने देखने के बाद
हम मौन हो जायेंगे