कविता

मौन

क्या हो सकता है
कुछ क्षण हम मौन हों
कुछ न बोले
सिर्फ सुने और देखे
प्रकृति को
चांद तारों को
चांदनी को
हवाओं की सरसराहट को
सूरज की किरणों की गुनगुनाहट को
नदियों की कल कल
भौरों की गुंजन
फूलों का खिलना
बारिश की टपटप
मुझे विश्वास है
यह सब सुनने देखने के बाद
हम मौन हो जायेंगे

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020