कविता

आंचल

तेरे आंचल की छांव में मां
एक नवजात कली खिलती
आंचल की छांव में ही कली
महक लाडो से फूल बनती।।
बुरी नज़र से बचा मां आंचल
में सहेज़ के चलती
बनी जो कली एक दिन फूल
वो इस दुनिया से मिलती।।
पड़ी एक दिन फूल पर बुरी
नज़र इस ज़माने की
कली से बनी थी फूल जो वो
टुकड़ों में टूट बिखरती।।
टूट जाती उस फूल संग मां भी
जो आंचल थी सहेज़ के चलती।।
— वीना आडवानी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित