सामाजिक

लड़कियों को तंदुरुस्त बनाईये

माँ जो जगदाधार है, माँ जो परिवार की नींव है उसे खुद को स्वस्थ और तंदुरुस्त रहने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्त्री को ममता की मूरत माना जाता है, माँ बनना हर औरत का सपना होता है। लड़की की शादी के बाद कुछ ही समय में परिवार और रिश्तेदार वाले पूछते रहते है, खुश ख़बर कब सुना रही हो? लेकिन आजकल देखा जा रहा है की कई महिलाएं मां नहीं बन पा रही है। या तो गर्भ ठहरता भी है तो दो ढ़ाई महीने बाद बच्चे का विकास अटक जाता है, और अबोर्शन करके अविकसित गर्भ निकलवाना पड़ता है। हर माता-पिता का फ़र्ज़ है की अपनी बच्ची को बचपन से ही हैल्दी खानपान से तंदुरुस्त बनाईये, क्यूँकि बेटी को अपने अंदर एक जीव को पालना है, जिसके लिए उसका खुद का शरीर स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। आजकल हर पाँचवी लड़की को माँ बनने में कोई न कोई दिक्कत आती है। महिलाओं के मां न बन पाने के कई कारण हो सकते है। जिसमें काफ़ी हद तक उनकी लाइफस्टाइल ज़िम्मेदार होती है। खासकर खान-पान बाहर का खाना जिसमें प्रिज़र्वेटिव और फूड़ कलर की मात्रा अधिक होती है। मैदे से बने जंक फूड का अधिक सेवन, ओवर ईटिंग, मोटापा, ज़रूरत से ज़्यादा डायटिंग, अचानक वज़न बढ़ना या बहुत ज़्यादा वज़न घटना, एक्सरसाइज़ बिल्कुल न करना या ज़रूरत से ज़्यादा एक्सरसाइज़ करना भी मां बनने में बाधक होता है। चरबी युक्त खाना खाकर जब मोटापा बढ़ जाता है, तो क्रैश डायटिंग करना शुरू कर देती है। इन सबके चलते शरीर में इतनी तेज़ी से हार्मोनल बदलाव होता है कि शरीर का हार्मोनल बैलेंस ही बिगड़ जाता है, जो माँ नहीं बन पाने का कारण बन जाता है।
आजकल लड़कियों में बहुत कम उम्र में ही पीसीओएस की समस्या भी देखी जा रही है। इसका कारण उनका ग़लत खानपान और स्ट्रेस है। पीसीओएस/पीसीओडी के कारण महिलाओं में ओवेल्यूशन नहीं होता, महिलाओं के शरीर में सामान्य की तुलना में बहुत अधिक हार्मोन्स बनते है। हार्मोन में इस असंतुलन की वजह से पीरियड्स नियमित नहीं रहते है ,आगे चलकर इससे प्रेग्नेंसी में समस्या आ जाती है।
साथ में सोने में अनियमितता की वजह से आजकल कम उम्र में लड़कियां अवसाद और मानसिक रोग का शिकार बन जाती है नींद पूरी होना बहुत जरूरी है। तनाव की स्थिति में महिला का माँ बनना मुश्किल होता है। ये तनाव किसी भी तरह का हो सकता है, जैसे यदि जॉब बहुत स्ट्रेसफुल है, नाइट शिफ्ट करनी पड़ती है तो मां बनने में तकलीफ़ हो सकती है। यदि पति-पत्नी के रिश्ते में तनाव चल रहा है, घर में तनाव चल रहा है, तो इससे भी फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। कोई बड़ी बीमारी, दवाइयों का अधिक सेवन, भावनात्मक आघात, फाइनांशियल लॉस जैसे कई कारण, जिनसे स्ट्रेस लेवल और हार्मोनल बैलेंस बिगड़ जाता है, उनके कारण भी फर्टिलिटी में कमी आती है।
महिलाओं के मां न बन पाने की आम कारणों पर ध्यान देना चाहिए जैसे
अनियमित पीरियड्स के कारण महिलाएं मां नहीं बन पातीं। गर्भाशय में गांठ यानी फाइब्रॉयड होने के कारण कई महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पातीं। ऐसी स्थिति में कई बार सर्जरी करवाने की भी ज़रूरत पड़ती है।
मोटापा कई रोगों का कारण होता है और इंफर्टिलिटी इनमें से एक है। ऐसे में वज़न घटाकर गर्भधारण किया जा सकता है।
फैलोपियन ट्यूब का बंद होना भी गर्भ न ठहरने की एक वजह हो सकता है, इसलिए इसकी जांच भी ज़रूरी है।
डिप्रेशन, अनिद्रा, अकेलेपन की शिकार महिलाओं को इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में साइकोलॉजिस्ट से संपर्क किया जा सकता है, उचित काउंसलिंग से समस्या सुलझ जाती है।
आजकल के दंपत्ति करियर और घूमने फिरने के चक्कर में फैमिली प्लानिंग में देर कर देते है 35/38 साल के होने के बाद सोचते है। सबसे पहले तो एक उम्र के रहते बच्चें हो जाए तो सब सही रहता है। फैमिली प्लानिंग के कुछ समय पहले डाॅक्टर से मिलकर अपना पूरा बाॅडी चैक अप करवा लें, यदि कोई कमी है तो उसे डाॅक्टर की देखरेख में ठीक करवाए, और हैल्दी खानपान से अंदरूनी शरीर को फीट बनाईये ताकि आप एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकें। अगर बच्चा जन्म से ही तंदुरुस्त होगा तो बार-बार अस्पताल के चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे।
अगर सिगरेट शराब की आदत है तो पहले वो छोड़िए। खाने में घी, दूध हरी सब्ज़ियां, ओट्स ताज़े फल, फ्रूट जूस, ड्राइफ्रूट्स, स्प्राउट्स, सलाद आदि का सेवन फर्टिलिटी में फ़ायदेमंद है, इनका सेवन नियमित रूप से करें। खुद तंदुरुस्त रहिए फिर स्वस्थ बच्चे को जन्म दीजिए।
— भावना ठाकर ‘भावु’

*भावना ठाकर

बेंगलोर