संध्या बेला: एक सुरीला नग़मा
संध्या की बेला है, या है सुरीला नग़मा,
या कि लगा हुआ है सजीले रंगों का मजमा,
सुनहरी-रुपहली, लाल-पीले रंगों की नशीली रंगत ने,
बांध दिया है खूबसूरत-नशीला-अद्भुत समां.
दिन का अंत भी इतना खूबसूरत होता है, जाना न था,
चाहे जाना भी हो, माना न था,
शयन कक्ष की खिड़की से नमूदार
खूबसूरत नजारों ने खूबसूरत रंगोली दिखाई,
यह हकीकत थी, अफसाना न था.
-लीला तिवानी