लघुकथा

जिम्मेदारी

रात के सन्नाटे में “जागते रहो “की आवाज गूंज रही थी। कविता को वैसे भी कम ही नींद आती है इस आवाज ने उसकी नींद पूरी उड़ा दी।वो कहीं अतीत में खो गई मानो कल की ही बात हो जब पिताजी की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी बड़े भैया पिताजी को अस्पताल में भर्ती करवा कर बिना किसी को सूचना दिए वहां से चले गए । जब वो पिताजी से मिलने अस्पताल गई तो नर्स भैया को दवाईयों के लिए ढूंढ रही थी। कविता को देखकर पर्ची उसे थमा दी। कविता दवा लेकर आई, उसे भी बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि पिताजी को अस्पताल में भर्ती करवा कर भैया कहां चले गए।उसने बड़े भैया को फ़ोन लगाया मगर उन्होंने ने उठाया नहीं।कई बार कोशिश करने के बाद उन्होंने जब फोन उठाया बड़े ही रुखे ढंग से पूछा “क्या काम है जो बार बार फोन कर रही हो”कविता ने कहा पिताजी को अस्पताल में भर्ती करवा कर कहा चले गए।”तो क्या अपना काम छोड़कर उनके पास ही रहता मैं वापस जयपुर आ गया”
कविता उनकी बात सुनकर आवाक रह गई और सोचती रही बड़े भैया ऐसा कैसे कर सकते हैं।

—  विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P