गीत/नवगीत

होली आई

होली आई री सखी होली आई री,
देखो रंग भरी होली आई री।
नव पल्लव के फूल खिले
 हैं देखो डाली -डाली।
रंग से भीगी मेरी चुनरिया
मैं तो हुई मतवारी।
झूम उठे है ये जग सारा,
नाचूं मैं नखराली।
होली आई री सखी होली आई री,
देखो रंग भरी होली आई री।
कान्हा संग होली खेले
देखो राधा रानी।
संग ललिता के होंगीं
गोपियां बृज की आज तो सारी।
कोई उड़ाए रंग गुलाल के
कोई चलाए भर पिचकारी।
भीगी जाए मोरी चोली।
होली आई री सखी होली आई री,
देखो रंग भरी होली आई री।
दूर गगन भी रंगा है
देखो सुनहरे रंग में।
सारी धरती झूम उठी है
अपने नव यौवन में।
मस्तानों की टोली आई
दिखती कितनी भोली
होली आई री सखी होली आई री,
देखो रंग भरी होली आई री।
— उषा सोलंकी

उषा सोलंकी

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