शब्द मिशन
माँ और बहन
खुद आदर्शतम शब्द है,
किन्तु बेटी कहने में
अब भी संकोच करते हैं,
नहीं तो कई लोग
उन्हें ‘बेटा’ क्यों कहते ?
संतान कहा जाने में
कोई पकड़ नहीं आएगी
कि हम बेटा का
जिक्र कर रहे हैं
या बेटी की !
साहब, हमारी सोच
इतनी मानसिक
और सामाजिक रूप से
इतनी संकोचित, संकीर्ण
और दिवालियेपन की
शिकार हो गई है
कि चाहकर भी
अपनी ‘सोच’
बदल नहीं पा रहे हैं,
इसलिए ‘शब्द’
बदल रहै हैं!
मर्ज़ी आपकी,
लेकिन मेरा मिशन
जारी रहेगा !