तब तक प्यार लिखूं कैसे……..
जब तक तकरार दिलों में है
तब तक श्रृंगार लिखूं कैसे
जब तक क्रंदन चहुँ ओर दिखे
तब तक मल्हार लिखूं कैसे
जब तक नफ़रत झलक रही
तब तक व्यवहार लिखूं कैसे
जब तक शीश कटेंगे यहाँ
तब तक हार लिखूं कैसे
जब तक सत्ता (राज) करे
तब तक संसार लिखूं कैसे
जब तक साथ भवँर में छूटे
तब तक पतवार लिखूं कैसे
जब तक पलकों में सावन है
तब तक फुहार लिखूं कैसे
जब तक यहाँ मतलबी हैं
तब तक प्यार लिखूं कैसे
राज कुमार तिवारी (राज)
बाराबंकी उत्तर प्रदेश