शान्ति/अमन
जब जब गहराते हैं
काले बादल गुबार के
जब जब होते हैं
धमाके बमबारी, मिसाल
गोला बारी के
जब जब अमनो चैन
हो जाता है आहत
सिसकती है इंसानियत
दिखने लगते हैं बर्बादी
के मंजर हर तरफ
उजड़ी बस्तियां
टूटी इमारतें
टूटी सड़कें
टूटे मार्ग
टूटे आशियाँ
हर ओर पसरा मातम
उदासियों का
हर ओर बिखरे बर्बादीयों
के निशान
हो टूटी फूटी ईंट सीमेंट की इमारतें
या फिर सिसकती ज़िन्दगीयां
अपनों के खोने का दर्द
अपने घर से बेघर होने का दर्द
इस तरह जब जब होती
कोई भी जंग
या आंतकवाद का वार
रह जाता है दर्द, आँसू
टूटन, तनाव, बिखरन
जब भी होता है अमनो चैन पर हमला
बिखर जाती है मानवता
होती है शान्ति भंग
होती है शर्मसार इंसानियत
कब किसका भला हुआ है
युद्ध हो या आतंकी हमले
बस रह जाते हैं निशान
दर्द के
उजड़ी बस्तियाँ के
उजड़ी ज़िन्दगीयों के
लाशों के ढेर…..
क्यों करना फिर तांडव यूँ
अशांति का
क्यों लुटाना फिर अमनो चैन
बो काँटे नफरतों के
क्यों न बांटे बस प्यार और खुशियां
खिला फूल मुस्कुराहटों के
करें कायम शांति
दे पैगाम अमनो चैन का
न कोई युद्ध
न कोई आतंकवाद
न कोई बैर
न कोई तनाव
न कोई हमला
बस प्यार, अमन , चैन और शांति
हर दिशा , हर देश
बजे बिघुल तो बस मानवता का
विजयी हो तो बस इंसानियत
न की धमाके ,बंब,गोला, बारूद, मिसाइलें ।।
— मीनाक्षी सुकुमारन