अनजान अजनबी
जब भी मिला, हरे हो गए पुराने घाव
टीस भरी यादों के जल उठे हैं अलाव
कोशिश की, पर भूल नहीं पाया कभी
कितनी बार मारा मुझे, तेरी यादों ने
उम्मीद है, शायद कभी लौट आओ
जिंदा रखी हैं सांसों को, तेरे यादों ने
कितना दर्द छुपा है, मुस्कान के पीछे
लोग इसे न जान पाए, समझ पाए
तिल तिल जल रहे तेल किसने देखा
सबने देखी रौशनी , और हंस हंसाए
सोचा , कुछ कुछ हम तुम पहल करें
नए सिरे से साथ चलना आरंभ करें
भूल जाएँ सब पुराने गिले शिकवे
अजनबी बन नया सफर प्रारंभ करें
जो सोच कर मिले वो नहीं हो पाया,
कुछ तूने, कुछ मैंने अतीत खड़ा पाया
जब पाल रखा हो चेहरे से ही नफरत,
फिर अनजान अजनबी न बन पाया