कविता

नारी श्रेष्ठ है

अनेक रूप में इस बसुधा पर, लेकर आई जिम्मेदारी।
पुरुष प्रधान जगत है सारा, लेकिन नर से श्रेष्ठ है नारी।
नारी मात,पुत्री, भगिनी, नारी दादी,साली, पत्नी।
सबका मन हर्षाने वाली, जीवन भर है नर की संगिनी।
घर को स्वर्ग बनाने वाली, नारी के हम सब आभारी।
पुरुष प्रधान जगत है सारा, लेकिन नर से श्रेष्ठ है नारी।
राम पुत्र को पाकर नारी,कौशिल्या माई बन जाती।
अपनी हठ पर आ जाए, वो नारी कैकेई कहलाती।
कृष्ण कन्हैया को पाकर, नारी राधा सा प्रेम निभाती।
आदर्श पति परमेश्वर है तो, नारी सीता वन वन जाती।
नारी पर ही टिकी हुई है,सम्पूर्ण जगत की सृष्टि सारी।
पुरुष प्रधान जगत है सारा, लेकिन नर से श्रेष्ठ है नारी।
नारी नीरा नारी लक्ष्मी, नारी कल्पना, सुनीता है।
नारी गंगा सी पावन है, नारी ही भगवत गीता है।
बचपन बीता तात के आंगन, योवन में ससुराल मिला।
जुदा हुए मां-बाप, भाई सब, जीवन से है बहुत गिला।
त्याग, तपस्या,मोह और माया, ने नारी पर करी सवारी।
पुरुष प्रधान जगत है सारा, लेकिन नर से श्रेष्ठ है नारी।
दुष्ट दुशासन इस युग में भी, ढूंढ़ रहे हैं पांचाली।
लाज बचानी स्वत: पड़ेगी ,बन जाओ दुर्गा काली।
सैन्य बलों में शामिल नारी,नारी का बल कम ना आंकना,
सहस्र देवियों का दर्शन है , नारी नहीं है काम वासना।
मिले सभी आधिपत्य नारि को ,जिनकी वर्षों से अधिकारी।
पुरुष प्रधान जगत है सारा, लेकिन नर से श्रेष्ठ है नारी।
— प्रदीप शर्मा

प्रदीप शर्मा

आगरा, उत्तर प्रदेश