कविता

युद्ध और सद्भावना

आइए! कुछ नया करते हैं
सद्भावना की आड़ में युद्ध करते हैं,
आखिर क्या रखा है सद्भावना में
कुछ नहीं बचा है आज
औपचारिक बनी सद्भावना में।
सद्भावना के चक्कर में न पड़िए
युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कीजिए
अपने आप को व्यस्त रखने का
सूत्रपात कीजिए।
युद्ध का अपना मजा है,
मरना मारना बिल्कुल नहीं मना है।
डर डर कर जीने का आनन्द लीजिए
मौका जैसा भी मिले
सामने से या पीठ पीछे वार कीजिए,
कुछ नहीं रखा है सद्भावना के गीत गाने में
युद्ध को अपने जीने का मकसद बना लीजिए।
मरने, मारने से न डरिए
सद्भावना का तनिक न विचार कीजिए
मिटने मिटाने का ख्याल जिंदा रखिए
सद्भावना के पुजारियों से निवेदन है
रुस यूक्रेन में चल रहे सद्भावना युद्ध का
भरपूर विस्तार करिए,
युद्ध को हमेशा आगे रखिए
सद्भावना को पर्दे में छिपा कर रखिए,
हम बेवकूफ नहीं हैं मेरे दोस्तों
दुनिया को यह भी बताते रहिए,
युद्ध और सद्भावना का मतलब कुछ ऐसा है
सबको समझाते रहिए।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921