कविता

टूटने का सुख

अहा!
बड़ा सुख है टूटने में
टूटकर बिखरने में,
आपको टूटने के सुख का आनंद
भला कैसे पता होगा,
जब टूटने का आपको
अवसर ही नहीं मिला होगा।
मेरी सलाह मानो
कम से कम एक बार टूट कर देखो
अनुभव कर लो और देखो,
सच में बड़ा सुख मिलेगा
सहानुभूति का मुफ्त में भंडार मिलेगा
लोग आपका दु:ख भले न समझें
झूठी तसल्ली से पेट भर देंगे।
टूटकर बिखर जाओ
या फिर जहन्नुम का टिकट कटाओ।
आपके कथित शुभचिंतक
आपका खूब ध्यान रखेंगे,
समय से पूर्व आपकी मौत का
सारा इंतजाम करेंगे।
बस एक बार आप टूट भर जाइए
दुबारा टूट सकें
ऐसी नौबत से बच जाइए।
क्योंकि जो टूट गया
वो भला और कितना टूटेगा,
जीने से ज्यादा मौत की दुआ करेगा।
टूटना बहुत आसान है
आइए साथ मिलकर टूटते हैं
जीवन पथ के बजाय
मृत्यु पर की ओर बढ़ते हैं।
टूटने वालों की फेहरिस्त में
अपना भी नाम लिखाते हैं,
इतिहास में अमर हो जाते हैं
आइए! हम भी एक बार ही सही
टूटते और बिखर जाते हैं
एक बड़ी लकीर टूटने की हम भी खींच देते हैं,
टूटने का सुख उठाते हैं।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921