नारी तुम महान हो
नारी तुम मात्र,जग में महान हो
सृष्टि के विकास की,पहचान हो।
तुम ही आदि-अंत की,विधान हो
तुम ही ईश्वर की बड़ी,वरदान हो।
तूम नारायणी,शक्ति की खान हो
ऊर्जा व क्षमता की स्वाभिमान हो।
जग में,सबकी,आन-बान-शान हो
घर-परिवार-में,भी तुम सम्मान हो।
तुम श्रद्धा,ममतामयी,पालनहार हो
तुम ही कर्ता धर्ता,तुम ही आधार हो।
तुम बिन सुना जग ,तुम ही सृंगार हो
तुम जग में सुंदरतम,तुम निखार हो।
तुम दो कुल की सेतु मर्यादा-मान हो
तुमसे कुल चलती,सारथी समान हो,
कुल-दीपक की तुम प्रकाशवान हो
घर-आंगन की,तुम ही बागवान हो।
— अशोक पटेल “आशु”