बाल कविता

जीबन का आधार है बस्ता

जीबन का आधार है बस्ता
उच्च शिक्षा का रस्ता है यह।
देखो तो लगता सस्ता है यह।
बच्चों का किरदार है बस्ता।
जीवन का आधार है बस्ता।
इस में मानवता के गुण हैं।
शक्ति, भक्ति में अर्पण है।
देता सबको प्यार है बस्ता।
जीबन का आधार है बस्ता।
इम्तिहान, दया एंव बुद्धि।
तन मन में देते हैं शुद्धि।
फ़र्जों का भण्डार है बस्ता।
जीबन का आधार है बस्ता।
कर्मठता इसके अलंकार।
इसकी मेहनत में हरिद्वार।
भविष्य का सहकार है बस्ता।
ज्ीवन का आधार है बस्ता।
शिक्षा की यह ऊँची सीढ़ि।
संस्कारों का ढलती पीढ़ि।
सद् गुरू सभ्याचार है बस्ता
जीबन का आधार है बस्ता।
इस में अद्भुदता पूजा वाली।
लाँखों दीपक एक है थाली।
मन्दिर का दीदार है बस्ता।
जीबन का आधार है बस्ता।
इससे बच्चे सूरज बनते।
‘बालम’ रातें रौशन करते।
संकल्प का इकरार है बस्ता।
जीबन का आधार है बस्ता।

— बलविन्दर ‘बालम’

बलविन्दर ‘बालम’

ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब) मो. 98156 25409