लता की याद में
एक सदी का आ कर जाना ।
मुश्किल है उसको भर पाना ।।
सुर कोकिला, कोकिल कंठी,
भारत की पहचान बनाई ।
सुर साधिका शारद पुत्री,
तुमने जीवन रीत निभाई ।।
उसके गाने और तराने
सुनकर सागर को तर जाना ।
मुश्किल है उसको भर पाना ।।1।।
कई भाषाओं में कई नगमें
गाकर सुर के साथ रही ।
अपनेपन का भाव हमेशा,
अनमोल तुम्हारी बात रही ।
एक तुम्हारे ही वश में था ,
हर दिल में एक घर कर जाना ।
मुश्किल है उसको भर पाना ।।2।।
एक लता की याद में उस दिन,
हर कोई आसूं भर भर रोया,
रहा जागता , रहा सोचता ,
तेरे नगमों भीतर खोया ।
अमन करेंगें यही दुआएं ,
तुम भारत में फिर आना ।
मुश्किल है उसको भर पाना ।।3।।
— मुकेश बोहरा अमन