ब्लॉग/परिचर्चा

अद्भुत आइन्स्टाइन और अद्भुत IQ लेवल

  • अलबर्ट आइन्स्टाइन का जन्म 14 मार्च 1879 को हुआ था. जिस अलबर्ट आइन्स्टाइन को दुनिया सबसे ज्यादा जीनियस मानती है उनका IQ लेवल था 160 से 190 के बीच. अल्बर्ट आइन्स्टाइन एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E = mc² के लिए जाने जाते हैं. उन्हें सैद्धांतिक भौतिकी, खासकर प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन की खोज के लिए 1921 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया. बहुत सारी क्रांतिकारी खोजों के लिए प्रसिद्ध साइंटिस्ट अल्बर्ट आइन्स्टाइन ने अपने दिमाग का 13 प्रतिशत उपयोग किया था जबकि सामान्य व्यक्ति सिर्फ 1-2 प्रतिशत का उपयोग कर सकता है.
    आपको यह जानकर हैरानी होगी लेकिन आइन्स्टाइन के दिमाग के 200 टुकड़े कर थॉमस ने उसे अलग-अलग वैज्ञानिकों को भेजा गया था. उन्हें इसके लिए हॉस्पिटल से निकाल भी दिया गया था लेकिन इसी अध्ययन में पता चला कि साधारण लोगों के दिमाग की तुलना में आइन्स्टाइन के दिमाग में एक असाधारण सेल संरचना थी. इसी कारण आइन्स्टाइन का दिमाग बहुत असाधारण सोचता था.
    अल्बर्ट आइन्स्टाइन पैदा हुए तो सामान्य बच्चों की तुलना में उनका सिर असामान्य रूप से बड़ा था. उस जमाने में मेडिकल साइंस इतना डेवलप नहीं था कि इस बड़े सिर का कारण जाना जा सकता. बड़े होते आइंस्टीन के साथ परिस्थितियां कुछ ऐसी थीं कि उन्हें असामान्य या शायद एबनॉर्मल बच्चा समझा जाने लगा. शायद तब उनके मां-बाप को इसका कारण आइन्स्टाइन का सिर बड़ा होना ही लगता होगा. पर बाद में (आइन्स्टाइन के मरने के बाद) पता चला कि उनका सिर ‘इंसानों की प्रजाति’ में एक अजूबा सिर था.
    आइन्स्टाइन शर्मीले बच्चों में थे. बहुत बड़ी उम्र तक वे बोलते भी नहीं थे. उनके मां-बाप उनके न बोलने से बहुत परेशान थे. 4 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार बोलना सीखा लेकिन तब भी बहुत साफ नहीं बोलते थे. आधा-अधूरा बोलते और अक्सर चुप ही रहते. 9 साल की उम्र से उन्होंने बोलना शुरू किया जिसका किस्सा बड़ा दिलचस्प है. बात खाने के समय की है. डायनिंग टेबल पर डिनर के लिए वे अपनी मां और पिता के साथ बैठे थे. अचानक उन्होंने बोला ‘सूप बहुत गर्म है’. उनके मां-बाप यह सुनकर खुश बाद में हुए लेकिन पहले उनकी इस साफ आवाज पर चौंक गए. उन्होंने उनसे पूछा कि अब तक वे बोलते क्यों नहीं थे तो आइन्स्टाइन का जवाब था ‘अब तक तो सब कुछ सही था’.
    आइन्स्टाइन खुद भी मजाकिया थे और उनकी कई आदतें भी हंसाने वाली थीं. वे मोजे नहीं पहनते थे क्योंकि उनके मोजों में छेद हो जाया करते थे. एक और कारण यह भी था कि उनका मानना था अगर एक से काम हो रहा है तो दो पहनने की क्या जरूरत है. कई फॉर्मल डिनर पार्टीज में वे ऐसे ही बिना मोजे पहने चले जाते थे. एक बार ऑक्सफोर्ड में लेक्चर के लिए भी वे ऐसे ही चले गए लेकिन स्टूडेंट्स का ध्यान उनके मोजों से ज्यादा उनके बड़े बालों पर होता था. आइन्स्टाइन को बाल कटवाना बिल्कुल पसंद नहीं था और उनके लंबे बाल देखकर कोई भी इसका अंदाजा लगा सकता है. इतने बड़े गणितज्ञ होकर भी वे खराब याददाश्त के इंसान माने जाते थे. नाम, तारीख और फोन नंबर उन्हें याद नहीं रहते थे. जानने वालों को यह सुनकर आश्चर्य होता है.

यह सभी जानते हैं कि स्कूल लाइफ में आइन्स्टाइन को बेवकूफ बच्चों में गिना जाता था. खासकर आइन्स्टाइन के टीचर उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं करते थे क्योंकि वह गणित और विज्ञान के अलावे हर विषय में फेल हो जाया करते थे. और तो और टीचर की डांट का भी उन पर कोई असर नहीं पड़ता था. एक बार उनके गणित के प्रोफेसर ने उन्हें आलसी कुत्ता तक कह डाला. कहते हैं बचपन में वे गणित में भी कमजोर थे और टीचर ने उन्हें गणित पढ़ाने से मना कर दिया था. तब उनकी मां ने उन्हें घर पर पढ़ाना शुरू किया और उनमें गणित के लिए ऐसी रुचि जगी कि महान गणितज्ञ ही बन गए.

आइन्स्टाइन के मरने के बाद पैथोलोजिस्ट डॉ. थॉमस स्टोल्ट्ज हार्वे ने उनके परिवार की सहमति के बिना ही उनका दिमाग उनकी खोपड़ी से अलग निकाल लिया था. हॉस्पिटल के लाख मनाने के बावजूद इसे नहीं लौटाया और 20 सालों तक इसे ऐसे ही रखा. 20 सालों बाद आइन्स्टाइन के बेटे हैंस अल्बर्ट की अनुमति के बाद उन्होंने उस पर अध्ययन करना शुरू किया. जानकर हैरानी होगी लेकिन आइन्स्टाइन के दिमाग के 200 टुकड़े कर थॉमस ने उसे अलग-अलग वैज्ञानिकों को भेजा गया था. उन्हें इसके लिए हॉस्पिटल से निकाल भी दिया गया था लेकिन इसी अध्ययन में पता चला कि साधारण लोगों के दिमाग की तुलना में आइन्स्टाइन के दिमाग में एक असाधारण सेल संरचना थी. इसी कारण आइन्स्टाइन का दिमाग बहुत असाधारण सोचता था. आइन्स्टाइन की आंखें तक एक बॉक में सुरक्षित रखी गई हैं.

आइन्स्टाइन की IQ लेवल को अद्भुत कहा जाता है, लेकिन अद्भुत IQ लेवल वाले अन्य लोग भी हैं. उनके बारे में बात कामेंट्स में.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244