कविता

खेलो होली ऐसी आज

आया होली का त्योहार,
पड़े रंग की फुहार,
आज धरती-गगन से भी,
बरसा है दुलार.

रंग एकता का डालो,
रंग डालो प्रेम का,
भेदभाव को हटाओ,
छेड़ो राह स्नेह का.

भाईचारे का गुलाल,
मौज-मस्ती का गुलाल,
रंग प्रीत का चढ़े,
मिट जाएगा मलाल.

धैर्य-साहस का अबीर,
क्षमा-दया का अबीर,
अत्याचार को मिटाए,
वही खरा है अबीर.

आई होली रंग-रंगीली,
लेकर खुशियों का संदेश,
छोड़ो खून-खराबा प्यारे,
वरना नहीं रहेगा देश.

खेलो होली ऐसी आज,
झूमे-महके देश-समाज,
भारत प्यारा देश बने हम ऐसी,
करें प्रतिज्ञा आज.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244