बाल कविताशिशुगीत

गौरैया

                                            विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च पर विशेष

चूं-चूं करती चौबारे पर,
एक गौरैया आई,
मुझको बड़ी बहिन समझ उसने मुझे,
अपनी व्यथा सुनाई.
खेतों में विष भरा हुआ है,
ज़हरीले हैं ताल-तलैया,
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहां गौरैया?
अन्न उगाने के लालच में,
ज़हर भरी वे खाद लगाते,
खाकर जहरीले भोजन को,
रोगों को हम पास बुलाते,
घटती जाती हैं दुनिया में,
अपनी ये प्यारी गौरैया,
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरैया?

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244