सब्र रख ए जिन्दगी
सब्र रख ए जिन्दगी दर्द में तेरे कभी तो कमी आएगी
मत बहा इतने आंसू ये नमी भी कभी तो सूख जाएगी
किसके लिए आज यादों को दिल में जिंदा रखा तूने
वो बेवफा था भूल जा उसे वरना तुझे तड़प सताएगी।।
निकल घर से मिल इस दुनिया से तू अकसर जिन्दगी
इस दुनिया से ही तू अपने दर्द का मरहम सच पाएगी।।
मिल संग दो लोगों से बतियाने लगेगी जब तू जिन्दगी
वेदना धीरे-धीरे ही सही पर तू सच सब भूल जाएगी।।
अपना पन ही मिलता अकसर जमाने से सुन जिन्दगी
ये पराए अपनों से होते बेहतर जल्द समझ मुस्काएगी।।
मुस्कुराना आ जाएगा जिस दिन तुझे फिर से वीना
वीणा के तारों में झंकार कि साज पाकर गुनगुनाएगी।।
सब्र रख ए जिन्दगी दर्द में तेरे कभी तो कमी आएगी
मत बहा इतने आंसू ये नमी भी कभी तो सूख जाएगी।।2।।
— वीना आडवाणी तन्वी