कविता

होली

इस बार अलग सी लग रही है होली,
आवाज है प्रखर और निडर हो गई है हमारी बोली;
सदियों की आस को मिला है एक विश्वास,
रामजी के देश में अब होगा रामराज;
चेहरे पर है आत्मविश्वास की लाली
और मुस्कानों में है सप्त रंगों का मिश्रण,
चंदन की भीनी भीनी खुशबू से महक रहा तन-मन हर क्षण;
हिंदुत्व की भावना से ओतप्रोत है पानी की पिचकारी,
इसकी धार की तीक्ष्णता बता रही है कि छा गए हैं भगवाधारी;
सच में हिंदू होने का अपने आप में हो रहा है नाज,
हिंदुस्तान विश्व में करेगा राज,
इसका हो चुका है आगाज;
आओ इस आगाज की आवाज को बुलंद करें
और जोर से लगाए नारा,
सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा;

— अशोक गुप्ता

अशोक गुप्ता

साहिबाबाद निवासी, आटे-अनाज के व्यापारी, मंचों पर कवितायेँ भी पढ़ते हैं.