कविता

दीपमाला

अमावस्या वाली काली रातों में बिछी दीपों की माला है.. अयोध्या नगरी की जगमगाहट दर्शाती हर सवेरा नई उमंगों वाला है भक्ति की शक्ति देख राजा की प्रजा में जन-जन हर्षाता है हनुमत सा बन अनुयाई योगी आशाओं की बयार बहाता है द्वारे द्वारे दीप जले हैं रोशन है हिंदू का तन मन, नभ जल […]

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आजादी का पर्व

आजादी का पर्व, 75 वां वर्ष, अमृत महोत्सव ,अलग बिल्कुल खास‌ । खिलता ,लहराता तिरंगा चारों ओर, करा रहा है इसका आभास। यूं तो हर वर्ष हम आजादी का पर्व मनाते आए हैं। कविताएं पढ़ी गीत लिखे और गाने गाए है। पर लगता है कहीं ना कहीं इतिहास का मिला हमको आधा अधूरा ज्ञान । […]

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होली

इस बार अलग सी लग रही है होली, आवाज है प्रखर और निडर हो गई है हमारी बोली; सदियों की आस को मिला है एक विश्वास, रामजी के देश में अब होगा रामराज; चेहरे पर है आत्मविश्वास की लाली और मुस्कानों में है सप्त रंगों का मिश्रण, चंदन की भीनी भीनी खुशबू से महक रहा […]

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आजादी दिवस पर हर सच्चे हिन्दुस्तानी का दर्द

धुंधले बादल छंट जायेंगे ,कब ऐसी सुबह आएगी , नवभोर की स्वर्णिम लालिमा जब गीत नए सुनाएगी . घाटी की माटी पर जब जब हरा झंडा फेहराता है , सब्र का बाँध टूट जाता है ,दिल पर पत्थर पड़ जाता है, मेरी माँ सब कुछ सह सकती है, पर ये उसको बिलकुल नहीं भाता है […]

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आतंकवाद का हल

जब दानवों ने किया था अत्याचार ,चारो तरफ था उनका दुराचार ,तब लिया था प्रभु श्री राम ने अवतार, और किया था उन देत्यों का संहार | उसी उपलक्ष में दशहरा और फिर दिवाली मनायी जाती हैं ,चारों तरफ खुशियाँ मनायी जाती हैं , आतिशबाजी जलायी जाती हैं ,ठीक हैं हमारी यह परम्परा सदियों पुरानी […]

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कविता

सोने की चिड़िया वाला भारत आप भी देंखे, हम भी देंखे सबको कैसा लगता है , सोने की चिडिया वाला भारत क्या अब भी वैसा लगता है? वो भारत जिसमे भगवानो ने लिया था स्थान , ऋषि ,मुनि, योगियों ने किया था जिसको महान, वो भारत जिसमे कितने वीर अवतरित हुए, देश की खातिर न […]

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धरती माँ है पुकारती

धरती माँ है पुकारती, हे! मानव तेरे कृत्यों से भारी हो रही है मेरी छाती मैंने तुझको काया, मन, अध्यात्म का दिया उपहार मानव- मानव से करे सदभावना का व्यवहार सत्कर्मो का प्रत्यारोपण कर करे अपनी आत्मा का उद्धार , जीवन के लक्ष्य को समझे और करे अपना बेड़ा पार, पर हिंसा, असत्य , भ्रष्टाचार, […]

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कविता : “अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी”

मैथिली शरण गुप्त की रचना “अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में दूध और आँखों में पानी” को लेकर आज की सबला नारी पर एक व्यंग .   मैथिलीजी अपनी उस अबला का अब नया रूप देख लो, आँचल कहा उड़ गया हवा में उसका अब नया स्वरूप देख लो, आपकी वो अबला अब […]

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भ्रूण हत्या करने वालों से एक सवाल

  आस्था के इस देश में पूजी जाती है देवी और माता तो कहलाती है गौ गंगा और पृथ्वी भी लोग दूर दूर तक देवी दर्शन करने जाते हैं और अपने आपको तीर्थ यात्री कहलाते हैं फिर भ्रूण हत्या करने वालों को क्यों नहीं रहता यह याद क्यों पूजते हैं उन्हीं कन्याओं को नौ-दुर्गों के […]

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कविता : सुशासन आएगा

गुस्सा तो मेरे अन्दर बहुत है मगर मैं चुप रहता हूँ ६७ वर्षों में जो दर्द मिले उनको घुट घुट कर सहता हूँ आजाद कश्मीर से गुलाम कश्मीर के हम वासी हो गए भ्रष्टाचार और आतंकवाद में पल-पलकर उसके आदी हो गए लग हमारी माँ को गरीब क्यों बताते हैं लाखों करोड़ में तुम्हारे स्विस […]