गीतिका/ग़ज़ल

कविता का दिन

कविता को कविता के दिन दें कविता का उपहार

हर बात को कविता के लहज़े में कह डालें हर बार
कलमों में सब भाव सजाकर कविता में संजोकर
कविमन काव्य ही से जीवन को हम दें तनिक संवार
कविता की हर तह में जाने कितनी कितनी बातें
ध्यान लगा कर सुनें ज़रा कभी कविता की पुकार
रचने लगे हैं कविता जब से मन को हैं आशाएं
शब्दों के कांधों पर मानो आ बैठा जीवनभार
जीवन की नदिया में अनगिन कविताओं के मोती
और कविता रूपी “गीत” से छेड़ें मन के सारे तार
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”

प्रियंका अग्निहोत्री 'गीत'

पुत्री श्रीमती पुष्पा अवस्थी