थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
एक बात जरा तू प्रियवर सुन
क्यों मीठी बातें हो गई गुम
मन में क्या तेरे है बात बता
अब थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
कुछ कह सुन लो दिल की बात
बीत न जाए कहीं यह रात
पलके बिछाए बैठी राह में
ना छुपाओ अपने जज्बात
सबको तज तेरी होली
घर लाया तू मेरे डोली
फिर यह जीवन बेरंग क्यों
बनाया तुझको ही हमजोली
कर रही तेरा इंतजार
फिर से आ जाओ एक बार
सुन ले प्रीतम यही एक धुन
थोड़ा सा ठहर जाओ तुम
— सविता सिंह मीरा