कविता

मुख्यमंत्री जी का आना

मुख्यमंत्री जी के आते ही ,
सुस्त हुआ प्रशासन,
 हरकत में आ जाता है ।
सरकारी कर्मचारी कुर्सी पर,
 किस काम के लिए बैठे हैं ।
उन्हें अपना काम,
 कुछ घंटों के लिए ही सही,
 पर याद आ जाता है ।
मुख्यमंत्री जी के आते ही, स्वच्छता अभियान….
असल में……. ऐसा होता है ।
सिर्फ झाड़ू के साथ फोटो नहीं दिखाई जाती हैं।
 सफाई देखने का असल नजारा तब नजर आता है।
 हमारे क्षेत्र में इतने सफाई कर्मचारी हैं।
 हर  सफाई कर्मचारी सड़कों की सफाई करता नजर आता है ।
चमक उठता है…….हर हिस्सा। जिस राह से मुख्यमंत्री जी गुजरेंगे।
 वह रास्ता संवर जाता है।
 गंदगी के लगे ढेरों का उस राह से नामो निशान मिट जाता है ।
उस कस्बे के सारे सरकारी विभाग हरकत में आ जाते हैं ।
अपना- अपना विकास कैसे किया है ।
 उसी की रूपरेखा चमकाते नजर आते हैं।
 अपने विभाग को चूना लगाकर फिर अपनी कार्य नीतियों पर चूना  फिरवाते हैं ।
कुछ घंटों के लिए कस्बा व्यवस्थित हो जाता है ।
शहर के चप्पे-चप्पे पर अनुशासन नजर आता है।
 बस मुख्यमंत्री जी के जाते ही, हर नजारा ढल जाता है ।
अगले चक्कर तक विकास दिखाने का जज्बा फिरसे धीमा हो जाता है ।
ऐसी अनुशासन सफाई देखकर लगता है कि…
 मुख्यमंत्री जी को हो सके तो राज्य के हर क्षेत्र में महीने में एक चक्कर लगा लेना चाहिए।
 इसी बहाने व्यवस्था का कुछ देर  ही सही विकास  का एहसास होने देना चाहिए ।
— प्रीति शर्मा असीम

प्रीति शर्मा असीम

नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश Email- aditichinu80@gmail.com